शनिवार, 10 मई 2025

भारत में 2025 तक स्मार्ट सिटीज़ के विकास की दिशा

भारत की महत्वाकांक्षी "स्मार्ट सिटीज़ मिशन" योजना ने शहरी विकास के क्षेत्र में एक नया अध्याय लिखा है। 2015 में शुरू हुआ यह मिशन 100 शहरों को तकनीक-संचालित, सतत और नागरिक-केंद्रित बनाने का लक्ष्य रखता है। यह ब्लॉग इस मिशन के उद्देश्य, 2025 तक की प्रगति, उपलब्धियां, चुनौतियां, भविष्य की योजनाएं और कुछ प्रेरक उदाहरणों पर विस्तृत जानकारी देगा। हमारा उद्देश्य आपको नवीनतम और सटीक जानकारी प्रदान करना है, जो सरकारी डेटा और हालिया रिपोर्ट्स पर आधारित है। आइए, इस यात्रा को शुरू करें और देखें कि भारत के शहर 2025 तक कितने "स्मार्ट" बन पाए हैं।

स्मार्ट सिटीज़ मिशन: एक परिचय

25 जून 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्मार्ट सिटीज़ मिशन की शुरुआत की थी। इस मिशन का मुख्य उद्देश्य भारत के शहरी क्षेत्रों में जीवन की गुणवत्ता को बेहतर करना, आर्थिक विकास को बढ़ावा देना और शहरों को सतत विकास के रास्ते पर ले जाना है। स्मार्ट सिटी का मतलब है ऐसा शहर, जहां नागरिकों को स्वच्छ पानी, निर्बाध बिजली, बेहतर स्वच्छता, कुशल परिवहन, डिजिटल कनेक्टिविटी, ई-गवर्नेंस और पर्यावरणीय स्थिरता जैसी बुनियादी सुविधाएं आसानी से उपलब्ध हों। यह मिशन तकनीक-आधारित समाधानों जैसे इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT), आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और डेटा एनालिटिक्स का उपयोग करके शहरों को अधिक व्यवस्थित, सुरक्षित और रहने योग्य बनाने पर केंद्रित है।

मिशन के तहत 100 शहरों का चयन किया गया, जिनमें से प्रत्येक का विकास विशेष परियोजना वाहन (SPV) के माध्यम से हो रहा है। ये SPVs केंद्र सरकार, राज्य सरकारों और स्थानीय निकायों के सहयोग से काम करते हैं। कुल प्रस्तावित परियोजनाओं की लागत लगभग ₹2,05,018 करोड़ है। शुरू में मिशन को 2020 तक पूरा करने का लक्ष्य था, लेकिन कई कारणों जैसे कोविड-19 महामारी, फंडिंग में देरी और प्रशासनिक चुनौतियों के कारण इसे पहले 2023, फिर 2024 और अंततः जून 2025 तक बढ़ाया गया।

2025 तक की प्रगति: एक गहन विश्लेषण

2025 तक स्मार्ट सिटीज़ मिशन ने कई क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति हासिल की है। जून 2025 तक के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, कुल 8,063 परियोजनाओं में से 7,626 (लगभग 95%) पूरी हो चुकी हैं, जिनकी लागत ₹1,53,900 करोड़ है। शेष 437 परियोजनाएं (5%) अभी भी प्रगति पर हैं, जिनकी लागत ₹10,795 करोड़ है। मार्च 2025 तक 93% परियोजनाएं पूरी हो चुकी थीं, और अंतिम कुछ महीनों में प्रगति में तेजी देखी गई।

प्रमुख आंकड़े और तथ्य

  • जनवरी 2025 तक: 8,058 निविदित परियोजनाओं में से 7,479 पूरी हो चुकी थीं। यह दर्शाता है कि मिशन ने समयसीमा के करीब आते हुए गति पकड़ी।
  • 18 शहरों की पूर्णता: मार्च 2025 तक केवल 18 शहरों ने अपनी सभी परियोजनाएं पूरी कीं, जो कुल लक्ष्य का एक छोटा हिस्सा है। बाकी शहरों में कुछ परियोजनाएं अभी भी बाकी हैं।
  • राज्य-स्तरीय प्रदर्शन: उत्तर प्रदेश ने विशेष रूप से अच्छा प्रदर्शन किया, जहां जुलाई 2025 तक 893 में से 883 परियोजनाएं पूरी हो चुकी थीं। अन्य राज्यों जैसे गुजरात, मध्य प्रदेश और तमिलनाडु ने भी अच्छी प्रगति दिखाई।

क्षेत्र-विशिष्ट प्रगति

स्मार्ट सिटीज़ मिशन ने विभिन्न क्षेत्रों में विकास पर ध्यान केंद्रित किया है। यहाँ कुछ प्रमुख क्षेत्रों की प्रगति का अवलोकन है:

  1. परिवहन और मोबिलिटी:
    • स्मार्ट रोड्स, फ्लाईओवर्स और साइकिल ट्रैक का निर्माण।
    • इंटेलिजेंट ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम (ITMS) लागू किए गए, जो ट्रैफिक सिग्नल्स को वास्तविक समय में नियंत्रित करते हैं।
    • इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) को बढ़ावा देने के लिए चार्जिंग स्टेशन स्थापित किए गए।
    • कई शहरों में स्मार्ट बस स्टॉप और एकीकृत सार्वजनिक परिवहन सिस्टम शुरू किए गए।
  2. आईटी और ई-गवर्नेंस:
    • इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर्स (ICCC) स्थापित किए गए, जो शहर की निगरानी, ट्रैफिक प्रबंधन, आपातकालीन सेवाएं और डेटा एकीकरण का काम करते हैं।
    • डिजिटल शासन को बढ़ावा देने के लिए ऑनलाइन सेवाएं और मोबाइल ऐप्स शुरू किए गए।
    • कई शहरों में स्मार्ट पार्किंग सिस्टम और डिजिटल भुगतान प्रणालियां लागू की गईं।
  3. स्वच्छता और पर्यावरण:
    • सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम्स में सुधार, जैसे IoT-आधारित कचरा संग्रह और रिसाइक्लिंग।
    • सोलर पैनल्स और ग्रीन बिल्डिंग्स को बढ़ावा देकर पर्यावरणीय स्थिरता पर जोर।
    • जल संरक्षण के लिए वाटर रिसाइक्लिंग और रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लागू किए गए।
    • कई शहरों में ग्रीन स्पेस और पार्क विकसित किए गए।
  4. शिक्षा और स्वास्थ्य:
    • स्मार्ट स्कूलों में डिजिटल क्लासरूम और ई-लर्निंग सुविधाएं शुरू की गईं।
    • स्मार्ट हेल्थ सेंटर्स में टेलीमेडिसिन और डिजिटल रिकॉर्ड सिस्टम लागू किए गए।
    • बच्चों और युवाओं के लिए कौशल विकास केंद्र स्थापित किए गए।
  5. आवास और बुनियादी ढांचा:
    • किफायती आवास परियोजनाएं शुरू की गईं।
    • स्मार्ट यूटिलिटी सिस्टम्स जैसे स्मार्ट मीटरिंग (बिजली और पानी के लिए) लागू किए गए।
    • पुराने बुनियादी ढांचे को अपग्रेड करके शहरों को अधिक कुशल बनाया गया।

हालांकि, मई 2025 तक 94% परियोजनाएं पूरी होने के बावजूद, कई शहरों में परियोजनाओं में 2-3 साल की देरी हुई। इसका कारण जटिल प्रशासनिक प्रक्रियाएं, फंडिंग में देरी और स्थानीय स्तर पर समन्वय की कमी रही।

स्मार्ट सिटीज़ मिशन की प्रमुख उपलब्धियां

स्मार्ट सिटीज़ मिशन ने भारत के शहरी परिदृश्य को बदलने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। यहाँ कुछ प्रमुख उपलब्धियां हैं:

  • विशाल जनसंख्या पर प्रभाव: इस मिशन ने लगभग 99.6 करोड़ की शहरी आबादी को प्रभावित किया है, जो भारत की शहरी आबादी का एक बड़ा हिस्सा है।
  • स्मार्ट समाधान: IoT, AI और डेटा एनालिटिक्स जैसे स्मार्ट समाधानों ने शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा और शासन में क्रांति लाई है। उदाहरण के लिए, कई शहरों में स्मार्ट ट्रैफिक सिस्टम ने यातायात भीड़ को कम किया और स्मार्ट वेस्ट मैनेजमेंट ने स्वच्छता में सुधार किया।
  • फंडिंग और संसाधन: केंद्र सरकार ने मिशन के लिए 99.44% फंड जारी किए, जिसने परियोजनाओं को समय पर पूरा करने में मदद की। यह दर्शाता है कि सरकार की प्रतिबद्धता इस मिशन के प्रति मजबूत रही।
  • शीर्ष प्रदर्शन वाले शहर: इंदौर, सूरत, भोपाल, पुणे, अहमदाबाद और चेन्नई जैसे शहरों ने स्मार्ट सिटी रैंकिंग में शीर्ष स्थान हासिल किया। इंदौर को विशेष रूप से स्वच्छता और स्मार्ट इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए सराहा गया।
  • पर्यावरणीय स्थिरता: सोलर एनर्जी, ग्रीन बिल्डिंग्स और प्रदूषण नियंत्रण के प्रयासों ने कई शहरों में पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ाया। उदाहरण के लिए, सूरत और भोपाल में सौर ऊर्जा का उपयोग बढ़ा है।
  • नागरिक सेवाओं में सुधार: स्मार्ट पार्किंग, डिजिटल भुगतान और ई-गवर्नेंस ने नागरिकों के लिए सेवाओं को अधिक सुलभ और पारदर्शी बनाया है।

चुनौतियां और बाधाएं

हर बड़े मिशन की तरह, स्मार्ट सिटीज़ मिशन को भी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है, जिन्होंने इसके कार्यान्वयन को प्रभावित किया:

  1. परियोजनाओं में देरी और लागत बढ़ोतरी:
    • कई परियोजनाओं में 40% तक लागत बढ़ी और 2-3 साल की देरी हुई। इसका कारण लैंड एक्विजिशन में देरी, ठेकेदारों की समस्याएं और कोविड-19 महामारी रही।
    • कुछ शहरों में जटिल प्रशासनिक प्रक्रियाओं ने भी प्रगति को धीमा किया।
  2. सीमित पूर्णता:
    • मार्च 2025 तक केवल 18 शहरों ने अपनी सभी परियोजनाएं पूरी कीं। यह दर्शाता है कि मिशन का पूरा लक्ष्य हासिल करने में अभी समय लगेगा।
  3. स्थानीय निकायों की कमी:
    • कई शहरी स्थानीय निकायों (ULBs) में तकनीकी और प्रशासनिक क्षमता की कमी रही। इससे परियोजनाओं का कार्यान्वयन और निगरानी प्रभावित हुई।
    • कुछ शहरों में विशेषज्ञों और प्रशिक्षित कर्मचारियों की कमी थी।
  4. समन्वय की कमी:
    • केंद्र, राज्य और स्थानीय सरकारों के बीच समन्वय की कमी ने कई परियोजनाओं को प्रभावित किया। उदाहरण के लिए, कुछ शहरों में फंड समय पर नहीं पहुंचे।
  5. नागरिक जागरूकता और सहभागिता:
    • कई शहरों में नागरिकों को स्मार्ट सिटी परियोजनाओं के लाभों और उपयोग के बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं थी। इससे जन-सहभागिता कम रही।
    • कुछ परियोजनाओं में स्थानीय समुदायों की राय को शामिल करने में कमी रही।
  6. तकनीकी चुनौतियां:
    • IoT और AI जैसे उन्नत तकनीकों को लागू करने में कुछ शहरों को तकनीकी बाधाओं का सामना करना पड़ा।
    • डेटा सिक्योरिटी और प्राइवेसी से संबंधित चिंताएं भी सामने आईं।

भविष्य की योजनाएं और दिशा

2025 के बाद स्मार्ट सिटीज़ मिशन का भविष्य उज्ज्वल है, लेकिन इसे और प्रभावी बनाने के लिए कई रणनीतियां अपनाई जा रही हैं:

  • SPVs का पुन:उपयोग:
    • मिशन की SPVs को भविष्य में शहरी विकास के लिए उपयोग करने की योजना है। ये SPVs शहरों में निरंतर प्रगति और रखरखाव सुनिश्चित करेंगी।
  • अन्य योजनाओं के साथ एकीकरण:
    • स्मार्ट सिटी परियोजनाओं को AMRUT 2.0, स्वच्छ भारत मिशन और अन्य शहरी योजनाओं के साथ जोड़ा जा सकता है, ताकि संसाधनों का अधिकतम उपयोग हो।
  • नई तकनीकों का उपयोग:
    • भविष्य में AI, 5G, ब्लॉकचेन और स्मार्ट एनर्जी सॉल्यूशंस पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। उदाहरण के लिए, स्मार्ट ग्रिड्स और ड्रोन-आधारित निगरानी को बढ़ावा दिया जा सकता है।
  • सतत विकास पर जोर:
    • जलवायु परिवर्तन के अनुकूल शहर बनाने के लिए हरित ऊर्जा, ग्रीन बिल्डिंग्स और प्रदूषण नियंत्रण पर और अधिक निवेश होगा।
  • नागरिक सहभागिता:
    • नागरिकों को परियोजनाओं में शामिल करने के लिए जागरूकता अभियान और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स को बढ़ावा दिया जाएगा।

प्रेरक उदाहरण: कुछ शहरों की कहानियां

स्मार्ट सिटीज़ मिशन के तहत कई शहरों ने उल्लेखनीय काम किया है। यहाँ कुछ प्रेरक उदाहरण हैं:

  1. इंदौर:
    • स्वच्छ भारत मिशन के तहत लगातार भारत का सबसे स्वच्छ शहर रहा।
    • IoT-आधारित वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम ने कचरा संग्रह और रिसाइक्लिंग को कुशल बनाया।
    • स्मार्ट ट्रैफिक सिस्टम और सौर ऊर्जा परियोजनाओं ने शहर को पर्यावरणीय रूप से स्थायी बनाया।
  2. सूरत:
    • स्मार्ट हेल्थकेयर सिस्टम्स में टेलीमेडिसिन और डिजिटल रिकॉर्ड्स की शुरुआत।
    • इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर ने शहर की निगरानी और आपातकालीन सेवाओं को बेहतर किया।
    • स्मार्ट मोबिलिटी के तहत इलेक्ट्रिक बसें और चार्जिंग स्टेशन शुरू किए गए।
  3. पुणे:
    • स्मार्ट मोबिलिटी और साइकिल ट्रैक में निवेश।
    • डिजिटल क्लासरूम्स और स्मार्ट स्कूलों ने शिक्षा क्षेत्र में सुधार किया।
    • स्मार्ट पार्किंग सिस्टम ने शहर में पार्किंग की समस्या को कम किया।
  4. भोपाल:
    • स्मार्ट रोड्स और ग्रीन स्पेस के विकास में प्रगति।
    • सौर ऊर्जा और वाटर रिसाइक्लिंग परियोजनाओं ने पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ाया।
    • एकीकृत ट्रैफिक प्रबंधन ने शहर की यातायात व्यवस्था को सुधारा।
  5. अहमदाबाद:
    • स्मार्ट यूटिलिटी सिस्टम्स जैसे स्मार्ट मीटरिंग और वाटर मैनेजमेंट में प्रगति।
    • साबरमती रिवरफ्रंट को स्मार्ट और पर्यटक-अनुकूल बनाया गया।
    • डिजिटल शासन ने नागरिक सेवाओं को अधिक पारदर्शी बनाया।

निष्कर्ष: एक स्मार्ट भविष्य की ओर

स्मार्ट सिटीज़ मिशन ने भारत के शहरी परिदृश्य को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 95% परियोजनाओं की पूर्णता और करोड़ों लोगों पर सकारात्मक प्रभाव के साथ, यह मिशन एक मील का पत्थर साबित हुआ है। हालांकि, देरी, लागत बढ़ोतरी और समन्वय की कमी जैसी चुनौतियों ने कुछ कमियां उजागर की हैं। भविष्य में, तकनीक, सतत विकास और नागरिक सहभागिता पर ध्यान देकर भारत के शहर विश्व स्तर पर स्मार्ट और रहने योग्य बन सकते हैं।

यह मिशन न केवल तकनीकी प्रगति का प्रतीक है, बल्कि भारत की उस सोच को भी दर्शाता है जो शहरी विकास को समावेशी और भविष्य-उन्मुख बनाना चाहती है। स्मार्ट सिटीज़ मिशन ने एक मजबूत नींव रखी है, जिस पर भारत अपने शहरी भविष्य को और बेहतर बना सकता है।

नोट: यह ब्लॉग समाचार श्रोतों आदि जानकारी पर आधारित है। कुछ परियोजनाओं की स्थिति में बदलाव हो सकता है। यह जानकारी केवल सूचनात्मक उद्देश्य के लिए है और इसे किसी आधिकारिक दस्तावेज के रूप में नहीं माना जाना चाहिए।

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