भारत का ई-कॉमर्स
बाजार तेजी से विकसित हो रहा है। एक समय था जब ऑनलाइन शॉपिंग का मतलब सिर्फ Amazon और Flipkart
जैसे बड़े प्लेटफॉर्म्स से था, लेकिन अब Open
Network for Digital Commerce (ONDC) जैसे नए इनिशिएटिव्स ने इस
क्षेत्र में क्रांति ला दी है। ONDC, जो भारत सरकार की एक
पहल है, ई-कॉमर्स को लोकतांत्रिक बनाने का प्रयास कर रही है।
यह लेख ONDC, Amazon और Flipkart की
तुलना करेगा और चर्चा करेगा कि क्या ONDC भारत के ई-कॉमर्स
को बदल सकता है। हम इन प्लेटफॉर्म्स के बिजनेस मॉडल, फायदे,
चुनौतियां, बाजार प्रभाव और भविष्य की
संभावनाओं पर गहराई से विचार करेंगे। इसके अलावा, हम कुछ
वास्तविक उदाहरणों और बाजार के ट्रेंड्स को भी शामिल करेंगे ताकि पाठक को पूर्ण
समझ मिल सके।
परिचय: भारत के ई-कॉमर्स का बदलता परिदृश्य
भारत में ई-कॉमर्स
की शुरुआत 2000 के दशक में हुई, लेकिन असली उछाल 2010 के बाद आया जब स्मार्टफोन और इंटरनेट की पहुंच बढ़ी। आज, भारत का ई-कॉमर्स बाजार दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा बाजार बनने की राह पर
है। 2026 तक यह बाजार 163 बिलियन
अमेरिकी डॉलर तक पहुंच सकता है, जो 27% की वार्षिक चक्रवृद्धि दर से बढ़ रहा है। लेकिन इस बाजार पर Amazon
और Flipkart जैसे विदेशी-समर्थित प्लेटफॉर्म्स
का वर्चस्व है, जो कुल बाजार का 60-70% हिस्सा रखते हैं।
ONDC क्या है? इतिहास,
विशेषताएं और उद्देश्य
Open Network for Digital Commerce (ONDC) भारत सरकार के DPIIT (Department for Promotion of Industry and
Internal Trade) द्वारा शुरू किया गया एक ओपन-सोर्स नेटवर्क है। यह 31
दिसंबर 2021 को शामिल किया गया था और इसका
मुख्य उद्देश्य ई-कॉमर्स को डेमोक्रेटाइज करना है। ONDC कोई
ऐप या प्लेटफॉर्म नहीं है, बल्कि एक प्रोटोकॉल है जो Beckn
Protocol पर आधारित है। यह खरीदारों, विक्रेताओं
और लॉजिस्टिक्स प्रोवाइडर्स को एक-दूसरे से कनेक्ट करता है, बिना
किसी मध्यस्थ के।इतिहास
ONDC की नींव 2021 में पड़ी जब सरकार ने ई-कॉमर्स में मोनोपॉली को तोड़ने के लिए एक एडवाइजरी
काउंसिल बनाई। जुलाई 2021 में 9 सदस्यों
वाली काउंसिल गठित हुई, जिसमें नंदन नीलेकणि जैसे विशेषज्ञ
शामिल थे। अप्रैल 2022 में पायलट फेज शुरू हुआ, 5 शहरों (दिल्ली NCR, बेंगलुरु, भोपाल,
शिलांग, कोयंबटूर) से। सितंबर 2022 में बेंगलुरु में पब्लिक बीटा लॉन्च हुआ। 2024 तक ONDC
ने 3 करोड़ विक्रेताओं और 30 करोड़ खरीदारों को जोड़ने का लक्ष्य रखा है।विशेषताएं
- ओपन
और इंटरऑपरेबल: कोई भी ऐप (जैसे Paytm,
Magicpin) ONDC से जुड़ सकता है। खरीदार एक ऐप से किसी भी
विक्रेता का सामान खरीद सकता है।
- कम
कमीशन:
ONDC पर कमीशन 5-8% है, जबकि Amazon/Flipkart पर 25-35%।
- सेक्टर
कवरेज:
रिटेल, फूड डिलीवरी, मोबिलिटी, हॉस्पिटैलिटी तक विस्तार। उदाहरण: Namma
Yatri जैसे राइड-हेलिंग ऐप्स।
- MSME सपोर्ट: छोटे विक्रेताओं के
लिए DigiReady Certification, जो डिजिटल रेडीनेस चेक
करता है।
- डेटा
प्राइवेसी:
UPI की तरह, डेटा सुरक्षित और गोपनीय
रहता है।
उद्देश्य
ONDC का
मुख्य लक्ष्य छोटे रिटेलर्स को सशक्त बनाना है। भारत में 2 करोड़
से ज्यादा किराना स्टोर्स हैं, लेकिन वे Amazon/Flipkart
पर मुश्किल से प्रतिस्पर्धा कर पाते हैं। ONDC उन्हें डिजिटल बाजार में लाकर मोनोपॉली तोड़ना चाहता है। 2025 की रिपोर्ट्स बताती हैं कि ONDC फैशन कैटेगरी में 26
लाख ऑर्डर कर चुका है, जो अप्रत्याशित सफलता
है। इसके अलावा, ONDC कृषि क्षेत्र को भी मजबूत कर रहा है,
जहां किसान सीधे उपभोक्ताओं तक पहुंच सकते हैं, बिचौलियों को हटाकर।
Amazon और Flipkart: भारत
के ई-कॉमर्स दिग्गज
Amazon
का अवलोकन
- बिजनेस
मॉडल:
मार्केटप्लेस मॉडल, जहां विक्रेता लिस्ट
करते हैं और Amazon लॉजिस्टिक्स हैंडल करता है (FBA
– Fulfillment by Amazon)।
- मार्केट
शेयर:
लगभग 31% (2018 डेटा)।
- कमीशन: 25-35%, प्लस अन्य फीस।
- नवाचार: Quick
Commerce में एंट्री, जैसे Amazon
Fresh। 2023 में ONDC से जुड़ा। इसके अलावा, Amazon ने AI-आधारित रेकमेंडेशन सिस्टम विकसित किए हैं जो उपयोगकर्ताओं की पसंद को
समझकर बिक्री बढ़ाते हैं।
Flipkart
का अवलोकन
Flipkart की
स्थापना 2007 में साचिन और बिन्नी बंसल ने की। शुरू में
किताबें बेचीं, अब सब कुछ। 2018 में Walmart
ने 16 बिलियन डॉलर में खरीदा। Flipkart
का मार्केट शेयर 48% है, खासकर टियर-2 शहरों में।
- बिजनेस
मॉडल:
मार्केटप्लेस, ग्रुप कंपनियां जैसे Myntra
(फैशन), Shopsy (सोशल कॉमर्स)।
- मार्केट
शेयर:
48%, यूजर ग्रोथ 21% YoY।
- कमीशन: Amazon जैसा, 25-35%।
- नवाचार: Big
Billion Days सेल, जो अक्टूबर में अरबों
की बिक्री करती है। Supermart से क्विक ग्रोसरी
डिलीवरी। Flipkart ने वॉइस सर्च और लोकल भाषाओं में
सपोर्ट जोड़कर ग्रामीण क्षेत्रों में पहुंच बढ़ाई है।
तुलना: ONDC vs Amazon vs
Flipkart
आइए इन तीनों की
प्रमुख पहलुओं में तुलना करें।
बिजनेस
मॉडल
- Amazon और Flipkart: क्लोज्ड इकोसिस्टम।
यूजर्स उनके ऐप पर ही खरीद सकते हैं। विक्रेता प्लेटफॉर्म-डिपेंडेंट हैं।
- ONDC: ओपन नेटवर्क। कोई भी ऐप (buyer/seller) जुड़
सकता है। उदाहरण: Paytm पर Flipkart का सामान दिख सकता है। यह इंटरऑपरेबिलिटी लाता है। ONDC का मॉडल अधिक लचीला है, जो विक्रेताओं को
स्वतंत्रता देता है।
कमीशन
और लागत
- Amazon/Flipkart: 25-35% कमीशन, प्लस शिपिंग, ऐड
फीस। छोटे विक्रेताओं के लिए महंगा।
- ONDC: 5-8% कमीशन, जनवरी 2025 से ₹1.5
प्रति ट्रांजेक्शन फी (₹250 से ऊपर के
ऑर्डर पर)। इससे MSMEs को फायदा। ONDC पर विक्रेता 20% तक अधिक मुनाफा कमा सकते हैं,
जो उन्हें निवेश करने की क्षमता देता है।
बाजार
हिस्सेदारी और ग्रोथ
- Amazon: 31% शेयर, 13% यूजर ग्रोथ।
- Flipkart: 48% शेयर, 21% ग्रोथ। Meesho जैसी
कंपनियां टियर-2 में चुनौती दे रही हैं।
यूजर
एक्सपीरियंस
- Amazon: Prime से तेज डिलीवरी (1-2 दिन), लेकिन क्लटर-फ्री UI।
- Flipkart: सरल चेकआउट, लोकल ब्रांड्स पर फोकस। औसत 10
आइटम प्रति ऑर्डर।
- ONDC: मल्टी-प्लेटफॉर्म, लेकिन शुरुआती चरण में UI/UX
में कमी। हालांकि, हाइपर-लोकल सर्च से
फायदा। ONDC में उपयोगकर्ता को अधिक विकल्प मिलते हैं,
लेकिन एकीकृत अनुभव की कमी है।
लॉजिस्टिक्स
और डिलीवरी
- Amazon: ATS
(Amazon Transportation Services), Prime से 1-2 दिन।
- Flipkart: Ekart,
Supermart से 45 मिनट डिलीवरी।
- ONDC: विक्रेता खुद चुन सकता है (Delhivery, Ekart)। 2025
में Amazon vs ONDC लॉजिस्टिक्स की तुलना
में ONDC तेज और सस्ता साबित हो सकता है। ONDC लॉजिस्टिक्स पार्टनर्स की संख्या बढ़ाकर लागत कम कर रहा है।
ONDC के फायदे और चुनौतियां
फायदे
- छोटे
विक्रेताओं के लिए: किराना स्टोर्स डिजिटाइज हो सकते
हैं। Kiko Live जैसे स्टार्टअप्स ONDC पर किराना को क्विक कॉमर्स से लड़ने में मदद करते हैं – 99% फिल रेट, 1.35 लाख ऑर्डर।
- समावेशिता: टियर-2/3 शहरों में पहुंच। 5,000 FPOs
(Farmer Producer Organizations) जुड़े।
- क्रांति: FMCG का 40% ऑनलाइन होगा 2030 तक।
ONDC D2C ब्रांड्स को बूस्ट देगा।
- गवर्नमेंट
सपोर्ट:
150 करोड़ सब्सिडी, MSMEs के लिए
ट्रेनिंग।
चुनौतियां
- स्केलिंग: मासिक ऑर्डर गिरे (31% गिरावट अक्टूबर 2024-फरवरी 2025)।
- लीडरशिप: CEO, CBO इस्तीफे।
- ट्रस्ट: बड़े प्लेटफॉर्म्स की तरह ब्रांडिंग नहीं।
- इंफ्रास्ट्रक्चर: क्विक कॉमर्स के लिए डार्क स्टोर्स की जरूरत, जो
ONDC पर आसान नहीं।
- अन्य
चुनौतियां:
डेटा सिक्योरिटी और फ्रॉड रोकथाम में सुधार की जरूरत, क्योंकि ओपन नेटवर्क अधिक जोखिम लाता है।
भारत के ई-कॉमर्स पर ONDC का प्रभाव
ONDC भारत
के ई-कॉमर्स को बदल सकता है।
- मोनोपॉली
तोड़ना:
Amazon/Flipkart का 60% शेयर। ONDC
छोटे रिटेलर्स को सशक्त बनाकर प्रतिस्पर्धा बढ़ाएगा।
- MSMEs की ग्रोथ: 2 मिलियन रिटेलर्स
को ई-कॉमर्स इंफ्रास्ट्रक्चर, 250 मिलियन खरीदार। Flipkart
की रिपोर्ट: MSMEs लोकल से नेशनल जा रहे
हैं।
- क्विक
कॉमर्स:
Uber, Blinkit, Zepto की प्रतिस्पर्धा में ONDC रोल। 2023 में 652 मिलियन
डॉलर का बाजार 2030 तक 20 बिलियन।
- सोशल
मीडिया रिएक्शन: X पर चर्चा – लोग ONDC को सस्ता मानते हैं, लेकिन Amazon/Flipkart की सुविधा पसंद।
- फेस्टिव
सीजन:
2025 में Flipkart Big Billion Days vs ONDC Mega Sale
– ONDC रिकॉर्ड बना सकता है।
- अतिरिक्त
प्रभाव:
ONDC महिलाओं और ग्रामीण उद्यमियों को सशक्त बना रहा है,
जहां महिला-स्वामित्व वाले बिजनेस 20% बढ़े
हैं। यह रोजगार सृजन भी करेगा, अनुमानित 1 करोड़ नौकरियां 2030 तक।
भविष्य की संभावनाएं: 2030 तक क्या होगा?
2030 तक
भारत का ई-कॉमर्स 350 बिलियन डॉलर का होगा। ONDC का रोल:
- को-एग्जिस्टेंस: ONDC और Amazon/Flipkart अलग यूज केस – ONDC लोकल, वे ग्लोबल।
- इनोवेशन: ONDC से क्विक कॉमर्स, B2B ग्रोथ। eB2B 100 बिलियन डॉलर तक।
- ग्लोबल
इम्पैक्ट:
ONDC दुनिया के लिए मॉडल, जैसे UPI।
- चुनौतियां: डेटा प्राइवेसी, इंफ्रा। लेकिन DPI से सफलता संभव।
- भविष्य
ट्रेंड्स:
AI और मेटावर्स का एकीकरण, जहां ONDC
वर्चुअल शॉपिंग को सुलभ बनाएगा। 5G और IoT
से डिलीवरी और अधिक तेज होगी।
.png)






0 comments:
एक टिप्पणी भेजें