परिचय
भारत,
दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र और तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था वाला
देश, अब इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) की
दिशा में एक बड़ी छलांग लगाने की तैयारी कर रहा है। 2025 में,
EV क्षेत्र में भारत की प्रगति उल्लेखनीय है, जहां
बाजार का आकार 8.49 अरब USD से बढ़कर 2030
तक 23.52 अरब USD तक
पहुंचने की उम्मीद है, जो 40.7% की
वार्षिक वृद्धि दर से बढ़ रहा है। यह बदलाव न केवल पर्यावरणीय दृष्टि से
महत्वपूर्ण है, बल्कि आर्थिक और सामाजिक रूप से भी देश को नई
ऊंचाइयों तक ले जा सकता है। EV का भविष्य भारत में केवल
वाहनों की तकनीक से जुड़ा नहीं है, बल्कि यह ऊर्जा सुरक्षा,
रोजगार सृजन, और वैश्विक प्रतिस्पर्धा को
मजबूत करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
2025 तक, भारत में EV बिक्री 20 लाख
यूनिट्स को पार कर चुकी है, जो वित्तीय वर्ष 2024-25 में 15.68% की सालाना वृद्धि दर्शाती है। उच्च गति
वाले इलेक्ट्रिक दो-पहिया वाहनों की हिस्सेदारी सबसे अधिक है, जबकि ई-रिक्शा 23.3% बाजार पर हावी हैं। विशेषज्ञों
का मानना है कि वैश्विक स्तर पर EV बाजार 2025 में 25% की वृद्धि दर्ज करेगा, और भारत इस क्रांति का एक अहम हिस्सा बन रहा है। इस ब्लॉग में हम भारत में
EV के वर्तमान और भविष्य के पहलुओं पर विस्तार से चर्चा
करेंगे, जिसमें बाजार की स्थिति, सरकारी
नीतियां, प्रमुख कंपनियां, चुनौतियां,
पर्यावरणीय प्रभाव, और भविष्य के रुझान शामिल
हैं।
भारत
में EV बाजार की वर्तमान
स्थिति
2025 में, भारत का EV बाजार तेजी से विस्तार कर रहा है। बाजार
का आकार 54.41 अरब USD तक पहुंच गया है,
जो 2029 तक 110.7 अरब USD
तक दोगुना होने की संभावना है। वित्तीय वर्ष 2024-25 में, 20,37,831 इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री दर्ज की
गई, जिसमें उच्च गति वाले इलेक्ट्रिक दो-पहिया वाहनों की
हिस्सेदारी सबसे अधिक रही। पैसेंजर वाहनों में EV की
हिस्सेदारी मई 2025 में 4% तक पहुंच गई,
जो पिछले साल के 2.6% से काफी बेहतर है। जनवरी
2025 में, EV बिक्री 19.4% मासिक और 17.1% सालाना बढ़कर 1,69,931 यूनिट्स तक पहुंची। जून 2025 में, यह आंकड़ा 28.6% सालाना बढ़कर 1,80,238 यूनिट्स हो गया। संचयी EV बिक्री वित्तीय वर्ष 2025
तक 61,65,964 यूनिट्स तक पहुंच गई, जो देश में EV अपनाने की गति को दर्शाता है। बाजार
का मूल्यांकन 2360.97 मिलियन USD है,
जो 2033 तक 164420.39 मिलियन
USD तक बढ़ने की उम्मीद है, जिसमें 57.23%
की वार्षिक वृद्धि दर शामिल है।
EV निर्यात में भी
उल्लेखनीय प्रगति हुई है, और देश के नेतृत्व ने घोषणा की है
कि भारत 100 से अधिक देशों में इलेक्ट्रिक वाहन निर्यात
करेगा। 2025 में, EV पैसेंजर वाहनों का
उत्पादन 140.2% सालाना बढ़कर 301,400 यूनिट्स
तक पहुंचने की उम्मीद है। उत्तर प्रदेश इस समय सबसे अधिक EV वाले
राज्य के रूप में उभरा है, जहां इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री
और उत्पादन में तेजी आई है। EV बाजार में दो-पहिया वाहनों की
हिस्सेदारी प्रमुख बनी हुई है, लेकिन चार-पहिया वाहन और कमर्शियल
वाहन भी तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं। विशेषज्ञों का अनुमान है कि 2030 तक भारत में EV की बाजार हिस्सेदारी 30% तक पहुंच सकती है, जो देश को वैश्विक EV नक्शे पर मजबूत स्थिति देगा।
सरकारी
नीतियां और पहल
भारत सरकार EV को बढ़ावा देने के लिए कई प्रभावी नीतियां और
योजनाएं लागू कर रही है। 2025 में, PM E-DRIVE योजना ने EV क्षेत्र में क्रांति ला दी है, जिसमें आयात शुल्क में कमी और उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (PLI) योजना शामिल है। इस योजना के तहत इलेक्ट्रिक दो-पहिया, तीन-पहिया, ट्रक और बसों के लिए विशेष समर्थन प्रदान
किया जा रहा है। FAME-II योजना के तहत 11,500 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी जा रही है, जो छोटे और
मध्यम वर्ग के उपभोक्ताओं के लिए EV को सस्ता बनाती है। PLI-ACC
योजना में 18,100 करोड़ रुपये का निवेश किया
गया है, जिसका लक्ष्य 50 GWh की बैटरी
उत्पादन क्षमता विकसित करना है। इसी तरह, PLI-Auto योजना में
25,938 करोड़ रुपये का निवेश EV विनिर्माण
को बढ़ावा दे रहा है।
दिल्ली EV नीति 2020 के तहत 2025
तक 50% लास्ट-माइल डिलीवरी वाहनों को
इलेक्ट्रिक बनाने का लक्ष्य रखा गया है, जो प्रदूषण कम करने
में मदद करेगा। महाराष्ट्र EV नीति 2025 में वीजीएफ (वीइकल ग्रांट फंड) स्कीम के जरिए वाहन निर्माताओं को
प्रोत्साहन दिया जा रहा है। मध्य प्रदेश EV नीति 2025
में 5,000 से 10 लाख
रुपये तक की सब्सिडी दी जा रही है, जो राज्य के किसानों और
छोटे व्यापारियों के लिए लाभकारी है। सरकार ने EV आयात शुल्क
को 110% से घटाकर 15% कर दिया है,
जिससे विदेशी निवेश और तकनीक हस्तांतरण में तेजी आई है। PM ई-बस सेवा के तहत 3,435 करोड़ रुपये का निवेश किया
गया है, जिसमें 38,000 इलेक्ट्रिक बसों
को तैनात करने का लक्ष्य है। इसके अलावा, GST दर को 12%
से घटाकर 5% किया गया है, जो उपभोक्ताओं के लिए EV को और किफायती बनाता है।
NITI Aayog ने India
Electric Mobility Index लॉन्च किया है, जो
राज्यों के EV अपनाने की प्रगति को मापता है। सरकार का
लक्ष्य 2030 तक 500 GW नवीकरणीय ऊर्जा
क्षमता और 5 मिलियन मीट्रिक टन ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन करना
है, जो EV चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के
लिए स्वच्छ ऊर्जा सुनिश्चित करेगा। इन नीतियों से न केवल पर्यावरण को लाभ होगा,
बल्कि ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर भी सृजित
होंगे।
प्रमुख
कंपनियां और स्टार्टअप्स
भारत में EV क्षेत्र में कई प्रमुख कंपनियां और
स्टार्टअप्स अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं। टाटा मोटर्स, महिंद्रा
एंड महिंद्रा, ओला इलेक्ट्रिक, और एथर
एनर्जी इस क्षेत्र में सबसे आगे हैं, जो नवाचार और उत्पादन
में योगदान दे रहे हैं। टाटा मोटर्स ने EV निर्यात में विशेष
प्रगति की है, और इसके मॉडल्स अंतरराष्ट्रीय बाजार में
लोकप्रिय हो रहे हैं। ओला इलेक्ट्रिक ने इलेक्ट्रिक स्कूटरों में क्रांति ला दी है,
जबकि एथर एनर्जी अपनी उन्नत बैटरी तकनीक के लिए जानी जाती है।
हीरो इलेक्ट्रिक, बजाज ऑटो, और टीवीएस
मोटर कंपनी भी दो-पहिया EV सेगमेंट में मजबूत स्थिति बनाए
हुए हैं। विनफास्ट (VinFast) ने तमिलनाडु में 16,000 करोड़ रुपये के निवेश के साथ एक नया EV प्लांट
स्थापित किया है, जो देश में विदेशी निवेश को दर्शाता है।
चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर में स्टार्टअप्स जैसे चार्जजोन और स्टेटिक अग्रणी हैं,
जो देश भर में तेज चार्जिंग स्टेशन स्थापित कर रहे हैं। एथर एनर्जी
ने उत्तर भारत में अपने नेटवर्क का विस्तार किया है, जबकि
ईमोटोराड, क्लीन इलेक्ट्रिक, और
इलेक्ट्रा ईवी जैसे स्टार्टअप्स नवाचार के नए आयाम जोड़ रहे हैं।
2025 में, एमजी मोटर ने विंडसर प्रो EV लॉन्च किया है, जो मध्यम वर्ग के लिए एक किफायती विकल्प है। सुजुकी की ई-विटारा भी
निर्यात के लिए तैयार है, जो भारत को वैश्विक EV बाजार में मजबूत करेगी। ये कंपनियां न केवल उत्पादन बढ़ा रही हैं, बल्कि स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजित कर रही हैं और तकनीकी कौशल को बढ़ावा
दे रही हैं।
चुनौतियां
EV अपनाने की राह में
कई चुनौतियां हैं। सबसे बड़ी बाधा चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी है, जहां देश में अभी भी पर्याप्त तेज चार्जिंग स्टेशन नहीं हैं। उच्च
प्रारंभिक लागत भी उपभोक्ताओं के लिए एक बड़ी बाधा है, खासकर
मध्यम वर्ग के लिए। बैटरी उद्योग अभी अपरिपक्व है, जिससे
उत्पादन लागत और गुणवत्ता में असमानता देखी जाती है। चार्जिंग समय लंबा होना,
सार्वजनिक चार्जिंग की अनुपलब्धता, और बैटरी
रिसाइक्लिंग की कमी भी बड़ी समस्याएं हैं। इसके अलावा, बिजली
वितरण कंपनियों (DISCOMs) में EV चार्जिंग
के लिए ग्रिड तैयारियों की कमी है, जो वृद्धि को सीमित कर
रही है।
उपभोक्ताओं में EV की बैटरी प्रतिस्थापन और रखरखाव की लागत को
लेकर चिंता है, जो अपनाने में रुकावट पैदा करती है। विनियमन
और मानकों में एकरूपता की कमी भी एक चुनौती है, जिससे उद्योग
को एकरूप नीति की आवश्यकता है। कोयला-आधारित बिजली ग्रिड से चार्जिंग होने से
उत्सर्जन में कमी सीमित रहती है, और SO2 जैसे प्रदूषकों में वृद्धि की आशंका है। इन चुनौतियों से निपटने के लिए
सरकार और निजी क्षेत्र को मिलकर काम करने की जरूरत है।
भविष्य
के रुझान
2025 से 2030 के बीच, भारत में EV उत्पादन 1.33
मिलियन यूनिट्स तक पहुंचने की संभावना है, जो
बाजार में 20% हिस्सेदारी हासिल करेगा। वार्षिक EV बिक्री 191.5 लाख यूनिट्स तक बढ़ सकती है, जो देश को वैश्विक EV बाजार में मजबूत स्थिति देगी। 2030
तक, EV की बाजार पैठ 30% तक पहुंचने का लक्ष्य है, जो नवीकरणीय ऊर्जा और
बैटरी तकनीक पर निर्भर करेगा। नई EV मॉडल्स जैसे टाटा सिएरा EV
और मारुति ई-विटारा 2025 में लॉन्च होने की
उम्मीद है, जो उपभोक्ताओं के लिए नए विकल्प लेकर आएंगे।
बैटरी मैन्युफैक्चरिंग में 110 GWh की उत्पादन क्षमता विकसित की जा रही है,
जो स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा देगी। वैश्विक EV बाजार 2030 तक 1.1 ट्रिलियन USD
तक पहुंचने का अनुमान है, और भारत इस विकास
में महत्वपूर्ण योगदान देगा। रिसर्च एंड डेवलपमेंट (R&D) में लिथियम-आयन, सोडियम-आयन, और
लिथियम-सल्फर बैटरी पर काम चल रहा है, जो भविष्य में लागत को
कम कर सकते हैं। 2030 तक, नई कारों में
55% हिस्सेदारी EV की होने की उम्मीद
है, जो प्रदूषण कम करने में मदद करेगी। ये रुझान भारत को एक EV
हब के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण होंगे।
पर्यावरणीय
प्रभाव
EV से CO2 उत्सर्जन में उल्लेखनीय कमी आ रही है। ट्रक, जो कुल
वाहन बेड़े का केवल 3% हैं, 34% CO2 उत्सर्जन
के लिए जिम्मेदार हैं, लेकिन EV ट्रकों
से यह कम हो रहा है। EV तीन गुना अधिक ऊर्जा कुशल हैं,
जो ईंधन खपत और प्रदूषण को कम करते हैं। 2024 में,
वैश्विक EV स्टॉक ने प्रतिदिन 1 मिलियन बैरल तेल की बचत की, और भारत में भी यह
प्रभाव दिख रहा है। सौर ऊर्जा से संचालित EV चार्जिंग स्टेशन
12-25% उत्सर्जन में कमी ला सकते हैं, जो
नवीकरणीय ऊर्जा के साथ संयोजन में और प्रभावी होगा।
हालांकि, कोयला-आधारित बिजली ग्रिड से चार्जिंग होने से
उत्सर्जन में कमी सीमित रहती है, और SO2 जैसे प्रदूषकों में वृद्धि की संभावना है। सरकार का लक्ष्य नवीकरणीय ऊर्जा
पर स्विच करना है, जो EV के पर्यावरणीय
लाभों को और बढ़ाएगा। रीसाइक्लिंग और बैटरी पुनर्चक्रण पर ध्यान देना भी जरूरी है,
ताकि कचरे को कम किया जा सके और संसाधनों का पुन: उपयोग हो सके।
सामाजिक
और आर्थिक प्रभाव
EV क्षेत्र ने भारत में
रोजगार सृजन में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। 2025 तक,
इस उद्योग ने 5 लाख से अधिक नौकरियां पैदा की
हैं, और 2030 तक यह संख्या 50 लाख तक पहुंचने की उम्मीद है। बैटरी उत्पादन, विनिर्माण,
और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर में रोजगार के नए अवसर उत्पन्न हो रहे
हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में भी EV तकनीक के प्रसार से छोटे
उद्यमों को बढ़ावा मिला है, जैसे कि स्थानीय चार्जिंग स्टेशन
संचालक।
आर्थिक रूप से, EV ने ईंधन आयात पर निर्भरता कम की है,
जो भारत के विदेशी मुद्रा भंडार को मजबूत करता है। स्थानीय उत्पादन
और निर्यात से देश की जीडीपी में भी वृद्धि हो रही है। उपभोक्ताओं के लिए, लंबे समय में EV संचालन लागत में कमी लाता है,
क्योंकि बिजली सस्ती है और रखरखाव लागत कम है। हालांकि, प्रारंभिक निवेश और जागरूकता की कमी अभी भी एक बाधा है, जिसे सरकार और उद्योग को मिलकर हल करना होगा।
निष्कर्ष
भारत में EV का भविष्य उज्ज्वल और आशाजनक है। सरकारी
समर्थन, बाजार की तेज वृद्धि, और
तकनीकी प्रगति के साथ, 2030 तक 30% EV पैठ
संभव है। यह न केवल पर्यावरण को स्वच्छ बनाएगा, बल्कि 5
करोड़ से अधिक रोजगार सृजित करेगा और ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करेगा।
प्रमुख कंपनियां और स्टार्टअप्स नवाचार के साथ आगे बढ़ रहे हैं, जबकि सरकार नीतियों के माध्यम से बुनियादी ढांचे को मजबूत कर रही है।
चुनौतियों के बावजूद, भारत EV क्रांति
के अगले बड़े कदम के लिए तैयार है, जो इसे वैश्विक स्तर पर
एक नेतृत्वकारी भूमिका दे सकता है।
नोट: यह ब्लॉग नवीनतम जानकारी पर आधारित है। सभी जानकारी विश्वसनीय स्रोतों से ली गई है, लेकिन पाठकों को सलाह दी जाती है कि अगर उनको आर्टिकल में कोई गलती दिखती है तो स्वयं सत्यापन करें।
यह भी पढ़े:-
AI क्रांति: कैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बदल रहा है भारतीय कृषि का भविष्य
.png)






0 comments:
एक टिप्पणी भेजें