सोमवार, 28 जुलाई 2025

नागपंचमी 2025: पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व की पूरी जानकारी

हिंदू धर्म में नागपंचमी का विशेष महत्व है, जो सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। यह पर्व नागदेवता और भगवान शिव की आराधना को समर्पित है। मान्यता है कि इस दिन विधि-विधान से पूजा करने से कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है, सांपों के भय से राहत मिलती है, और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। इस लेख में हम नागपंचमी 2025 की तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, और इसके धार्मिक महत्व के बारे में विस्तार से जानेंगे।

नागपंचमी 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, नागपंचमी 2025 सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाएगी। इस वर्ष यह तिथि निम्नलिखित है:

पंचमी तिथि प्रारंभ: 28 जुलाई 2025, रात 11:24 बजे

पंचमी तिथि समाप्त: 30 जुलाई 2025, सुबह 12:46 बजे

नागपंचमी तारीख: 29 जुलाई 2025 (मंगलवार), उदया तिथि के आधार पर

पूजा का शुभ मुहूर्त: 29 जुलाई 2025, सुबह 05:41 बजे से 08:23 बजे तक (कुल अवधि: 2 घंटे 43 मिनट)

इसके अतिरिक्त, कुछ अन्य शुभ मुहूर्त भी उपलब्ध हैं:

चौघड़िया मुहूर्त 1: सुबह 10:46 बजे से दोपहर 12:27 बजे

चौघड़िया मुहूर्त 2: दोपहर 12:27 बजे से 02:09 बजे

चौघड़िया मुहूर्त 3: दोपहर 03:51 बजे से शाम 05:32 बजे

अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12:07 बजे से 12:59 बजे

इस साल नागपंचमी पर शिव योग और सौभाग्य योग बन रहे हैं, जो इस पर्व को और भी शुभ बनाते हैं। इन योगों में पूजा करने से भगवान शिव और नागदेवता की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

नागपंचमी की पूजा विधि

नागपंचमी की पूजा में भगवान शिव, माता पार्वती, और नागदेवता की आराधना की जाती है। नीचे दी गई पूजा विधि का पालन करें:

स्नान और तैयारी: सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें।

व्रत का संकल्प: पूजा शुरू करने से पहले नागदेवता और भगवान शिव की पूजा का संकल्प लें।

नाग चित्र या प्रतिमा स्थापना: घर के मंदिर या पूजा स्थल पर लकड़ी की चौकी पर स्वच्छ कपड़ा बिछाएं। इसके ऊपर सोने, चांदी, या मिट्टी से बनी नाग-नागिन की प्रतिमा स्थापित करें। यदि प्रतिमा उपलब्ध न हो, तो गाय के गोबर या आटे से सांप की आकृति बनाएं।

अभिषेक: नागदेवता की प्रतिमा को पहले गाय के दूध से, फिर शुद्ध जल से स्नान कराएं। इसके बाद शिवलिंग पर दूध, दही, गंगाजल, शहद, और बेलपत्र अर्पित करें।

पूजा सामग्री अर्पण: नागदेवता को हल्दी, रोली, चावल, फूल, मिठाई, मेवा, गुलाल, और मेहंदी चढ़ाएं। शुद्ध घी का दीपक जलाएं और धूप दिखाएं।

मंत्र जाप: निम्नलिखित मंत्रों का 108 बार जाप करें:

नागदेवता मंत्र: "ॐ भुजंगेशाय विद्महे, सर्पराजाय धीमहि, तन्नो नागः प्रचोदयात्"

राहु मंत्र: "ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः"

केतु मंत्र: "ॐ स्त्रां स्त्रीं स्त्रौं सः केतवे नमः"

शिव मंत्र: "ॐ नमः शिवाय"

आठ नागों की पूजा: आठ प्रमुख नागों—अनंत, वासुकी, पद्म, महापद्म, तक्षक, कुलीर, कर्कट, और शंख—की पूजा करें।

कथा और आरती: नागपंचमी व्रत कथा पढ़ें या सुनें। इसके बाद नागदेवता और भगवान शिव की आरती करें।

भोग: नागदेवता को दूध, सेवई, और चावल का भोग लगाएं। भोग को किसी खेत या ऐसी जगह रखें जहां सांप आ सकते हों।

दान: जरूरतमंदों को दूध, चावल, या धन का दान करें। यह सुख-समृद्धि और पुण्य की प्राप्ति का साधन है।

नागपंचमी का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

नागपंचमी का पर्व हिंदू धर्म में गहरा धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है। यह न केवल नागदेवता की पूजा का दिन है, बल्कि प्रकृति और पर्यावरण संरक्षण का भी प्रतीक है। निम्नलिखित बिंदु इसके महत्व को दर्शाते हैं:

कालसर्प दोष से मुक्ति: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जिन लोगों की कुंडली में कालसर्प दोष या राहु-केतु के दोष होते हैं, उनके लिए यह दिन विशेष रूप से लाभकारी है। नागदेवता की पूजा से ये दोष कम हो सकते हैं।

सांपों से सुरक्षा: सावन मास में सांप भूगर्भ से बाहर आते हैं। इस दिन पूजा करने से सर्पदंश के भय से मुक्ति मिलती है।

भगवान शिव की कृपा: नागदेवता को भगवान शिव का गण माना जाता है। उनकी पूजा से भगवान शिव और माता पार्वती प्रसन्न होते हैं, जिससे भक्तों को आशीर्वाद प्राप्त होता है।

पौराणिक कथा: भविष्य पुराण के अनुसार, राजा जन्मेजय ने अपने पिता परीक्षित की मृत्यु का बदला लेने के लिए सर्प यज्ञ किया था, जिसे आस्तिक मुनि ने रोका। तभी से नागपंचमी मनाई जाती है। यह कथा बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।

पर्यावरण संरक्षण: नागों की पूजा प्रकृति के प्रति सम्मान दर्शाती है। यह पर्व हमें सांपों के पारिस्थितिक महत्व को समझने और उनकी रक्षा करने की प्रेरणा देता है।

सुख-समृद्धि: मान्यता है कि नागदेवता की पूजा से आर्थिक तंगी दूर होती है, और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।

नागपंचमी के दिन क्या न करें?

नागपंचमी के दिन कुछ कार्यों से बचना चाहिए ताकि नागदेवता और भगवान शिव की कृपा बनी रहे:

भूमि की खुदाई न करें: यह दिन पाताल लोक के स्वामी नागदेवता को समर्पित है, इसलिए भूमि की खुदाई वर्जित है।

रोटी न बनाएं: कुछ क्षेत्रों में इस दिन रोटी बनाने से परहेज किया जाता है। इसके बजाय सेवई और चावल जैसे व्यंजन बनाए जाते हैं।

हल न चलाएं: खेती से संबंधित कार्य, जैसे हल चलाना, इस दिन नहीं करना चाहिए।

नकारात्मक विचारों से बचें: पूजा के दौरान मन को शुद्ध और सकारात्मक रखें।

ट्रेंडिंग कीवर्ड्स और नागपंचमी का उत्सव

नागपंचमी 2025 से संबंधित कुछ ट्रेंडिंग कीवर्ड्स जो इस पर्व की लोकप्रियता को दर्शाते हैं:

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सोशल मीडिया पर #NagPanchami2025, #Sawan2025, और #नागपंचमी जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं, जो इस पर्व के प्रति लोगों की आस्था और उत्साह को दर्शाते हैं। कई लोग अपने घरों में नागदेवता की मूर्तियों को सजाकर और मंदिरों में दर्शन करके इस दिन को उत्सव के रूप में मनाते हैं।

निष्कर्ष

नागपंचमी 2025 भगवान शिव और नागदेवता की कृपा प्राप्त करने का एक शुभ अवसर है। इस दिन विधि-विधान से पूजा करने से न केवल कालसर्प दोष और सर्प भय से मुक्ति मिलती है, बल्कि जीवन में सुख, समृद्धि, और शांति भी आती है। 29 जुलाई 2025 को सुबह 05:41 से 08:23 बजे के शुभ मुहूर्त में पूजा करें और इस पवित्र पर्व का लाभ उठाएं। क्या आप इस साल नागपंचमी मना रहे हैं? अपनी पूजा की तैयारियों और अनुभवों को हमारे साथ साझा करें!

नोट:- यह जानकारी सामान्य धार्मिक मान्यताओं और ज्योतिषीय सलाह पर आधारित है। किसी भी पूजा या उपाय को करने से पहले अपने पंडित या ज्योतिषी से सलाह लें।

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