दिल्ली की ग्रीन दिवाली 2025: क्या पटाखों पर रोक से सच में सुधरी हवा?
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हर साल दिवाली पर दिल्ली की हवा पटाखों से भर जाती है दिवाली की शाम जब आकाश रंग-बिरंगे पटाखों से जगमगा उठता है और घर-घर दीयों की रोशनी फैल जाती है, तो त्योहार की खुशी एक अलग ही ऊंचाई छू लेती है। लेकिन दिल्ली जैसे घनी आबादी वाले शहर में यह रौनक जल्द ही एक बोझ बन जाती है। अगली सुबह घनी धुंध की चादर ओढ़े शहर जागता है, जहां सांस लेना दूभर हो जाता है। आंखों में सूजन, सांसों में जकड़न और स्कूलों-कार्यालयों में बच्चों व बुजुर्गों को अंदर कैद रखना - ये दृश्य अब दिल्ली की दिवाली की अनिवार्य हिस्सा लगने लगे हैं। सालों से यही चक्र चल रहा है, जहां उत्सव की चमक हवा की जहरीली परत के नीचे दब सी जाती है, और स्वास्थ्य विशेषज्ञ चेतावनी देते रहते हैं कि PM2.5 कण फेफड़ों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। 2025 में एक नई उम्मीद की किरण दिखी थी। केंद्र और दिल्ली सरकार ने 'ग्रीन दिवाली कैंपेन' को जोर-शोर से प्रचारित किया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने पारंपरिक पटाखों पर सख्ती बरतते हुए केवल कम प्रदूषण वाले ग्रीन पटाखों की बिक्री और उपयोग की अनुमति दी। लेकिन क्या यह कदम हवा को साफ करने में सफल रहा? या फिर धुंध ने ...